गुरुवार, 11 दिसंबर 2008
...एक तश्वीर जिन्दगी की
.....एक डायरी....एक खुली डायरी....जिसे आप पढ़ सकें...जिसे आप जान सकें। खुद को जानने समझने की कोशिश आप हर रोज करते हैं। टुकड़ों-टुकड़ों में आप खुद को जानते भी हैं...।....तो यह कहानी होगी मेरी और आपकी भी।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)